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सूर्य से अस्त होने वाले गृह और उनकी डिग्री (Surya se Ast hone wale Grah)

इस लेख में, हम यह अध्ययन करेंगे कि सूर्य अन्य ग्रहों को कैसे प्रभावित करता है, जो कुंडली में उसी घर में बैठे हों जिसमे सूर्य बैठा है, या एक घर आगे या एक घर पीछे बैठे हों।

नोट

पिछले लेखों में, आपको लग्न कुंडली के मूल नियमों से परिचित कराया गया था। यदि आपने नहीं पढ़ा है, तो आप लग्न कुंडली की मूल अवधारणाओं को इस लेख में पढ़ सकते हैं।

वह लेख आपको यह भी बताता है कि हम कुंडली में घरों की गणना कैसे करते हैं - इस लेख को समझने के लिए आपको इस ज्ञान की आवश्यकता होगी। हालाँकि, हम आपके संदर्भ के लिए एक खाली कुंडली का चित्र भी संलग्न कर रहे हैं, जिसके घर के नंबर अंकित हैं। सभी उत्तर भारतीय कुंडलियों में घर संख्या स्थिर होती है। Lagna Kundali

Table of Contents
  • ग्रह का अस्त होना क्या होता है?
  • सूर्य किन ग्रहों को अस्त कर सकता है?
  • ग्रह के अस्त होने का प्रभाव

ग्रह का अस्त होना क्या होता है?

कई ग्रह, यदि वे सूर्य के बहुत करीब आ जाते हैं, तो वे अपनी सारी शक्ति खो देते हैं। ऐसे ग्रहों को अस्त हुआ माना जाता है।

लेकिन सूर्य के बहुत करीब से हमारा क्या मतलब है?

इसके लिए हमें सूर्य की डिग्री और उस ग्रह की डिग्री की तुलना करनी होगी, जो सूर्य के साथ एक ही घर में या एक घर आगे/पीछे बैठा हो। यदि उनकी डिग्री करीब हैं, तो इसका मतलब है कि सूर्य उस ग्रह पर हावी हो गया है, और वो ग्रह अस्त हो रहा है।

परन्तु, सभी ग्रहों को सूर्य अस्त नहीं कर सकता। आइए, जानें कि कौन से ग्रह इस घटना से प्रभावित होते हैं, और कौन से ग्रह इससे प्रतिरक्षित हैं।

सूर्य किन ग्रहों को अस्त कर सकता है?

इन ग्रहों को सूर्य अस्त कर सकता है - बृहस्पति, शुक्र, शनि, बुध, चंद्रमा, मंगल

परन्तु, राहु और केतु को सूर्य द्वारा अस्त नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ये छाया ग्रह हैं - मूल रूप से ये चंद्रमा के आरोही और अवरोही चरण (ascending and descending phases) हैं। इसके विपरीत, राहु और केतु, सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगा सकते हैं।

इसके अलावा, हालांकि सूर्य अन्य ग्रहों को अस्त कर सकता है, पर यह खुद कभी भी अस्त नहीं होता है। कम-से-कम कुंडली में तो नहीं|

कोई ग्रह, सूर्य के कितना करीब आने पर अस्त होगा, यह सीमा हर ग्रह के लिए भिन्न-भिन्न होती है।

  • सूर्य के साथ बैठा हुआ चंद्रमा अस्त माना जाएगा यदि सूर्य और चंद्रमा की डिग्री के बीच का अंतर 12° के बराबर या उससे कम हो।
  • सूर्य के साथ बैठे मंगल को अस्त माना जाएगा यदि सूर्य और मंगल की डिग्री के बीच का अंतर 17° के बराबर या उससे कम हो।
  • सूर्य के साथ बैठे बृहस्पति को अस्त माना जाएगा यदि सूर्य और बृहस्पति की डिग्री के बीच का अंतर 11° के बराबर या उससे कम हो।
  • सूर्य के साथ बैठे शुक्र को अस्त माना जाएगा यदि सूर्य और शुक्र की डिग्री के बीच का अंतर 9° के बराबर या उससे कम हो।
  • सूर्य के साथ बैठे शनि को अस्त माना जाएगा यदि सूर्य और शनि की डिग्री के बीच का अंतर 15° के बराबर या उससे कम हो।
  • सूर्य के साथ बैठे बुध को अस्त माना जाएगा यदि सूर्य और बुध की डिग्री के बीच का अंतर 13° के बराबर या उससे कम हो। आप अक्सर बुध को उसी घर में बैठे हुए पाएंगे जिसमें सूर्य है, या उसके बगल के घर में। अतः, बुध शायद एक ऐसा ग्रह है, जो इस घटना से सबसे अधिक प्रभावित होता है।
कुंडली में डिग्री की अवधारणा

एक कुंडली में 12 घर होते हैं। और एक पूर्ण वृत्त में 360° अंश होते हैं। तो, कुंडली के हर घर में 360°/12 = 30° अंश होते हैं।

यदि किसी ग्रह की डिग्री 8° है, तो इसका मतलब है कि वह जिस घर में बैठा है, उसमें 8° की यात्रा कर चुका है। अगले घर में जाने से पहले, उसे उस घर में अभी भी 30° - 8° = 22° की यात्रा करना बाकी है।

ग्रह पहले घर से दूसरे और फिर तीसरे घर में जाते हैं, और इसी तरह आगे भी, जैसा कि नीचे दी गई कुंडली में दर्शाया गया है: Lagna Kundali

बारहवें घर के बाद कोई भी ग्रह प्रथम घर में गोचर करेगा।

परन्तु, राहु और केतु विपरीत दिशा में चलते हैं। यानी राहु और केतु हमेशा वक्री चाल में चलते हैं।

आइए एक उदाहरण देखें। नीचे दी गई कुण्डली में सूर्य (0° के साथ), शुक्र और बुध के साथ दूसरे घर में है। Lagna Kundali

  • सूर्य और बुध की डिग्री के बीच का अंतर = 28 - 0 = 28°। यह 13° से अधिक है। तो, बुध अस्त नहीं हो रहा है।
  • सूर्य और शुक्र की डिग्री के बीच का अंतर = 12 - 0 = 12°। यह 9° से अधिक है। तो, शुक्र भी अस्त नहीं हो रहा है।
  • सूर्य (द्वितीय घर में) और मंगल (प्रथम घर में) की डिग्री के बीच का अंतर = (30 - 9) + 0 = 21°। यह 17° से अधिक है। तो, मंगल भी अस्त नहीं हो रहा है।

आइए एक और उदाहरण देखें। नीचे दी गई कुंडली में सूर्य (28° के साथ) तीसरे भाव में है। Lagna Kundali

  • सूर्य और शनि की डिग्री के बीच का अंतर = (30 - 28) + 5 = 2 + 5 = 7°। यह 15° से कम है। अतः उपरोक्त कुण्डली में शनि अस्त हो रहा है।

ग्रह के अस्त होने का प्रभाव

तो, किसी ग्रह का अस्त होना हमें कैसे प्रभावित करता है?

खैर, यह आसान है। सूर्य के कारण जो ग्रह अस्त हो रहा है, अर्थात वह ग्रह जिस पर सूर्य हावी हो गया है, वह अपनी शक्ति खो देगा - सभी या अधिकांश, यह सूर्य के साथ इसकी डिग्री की निकटता पर निर्भर करता है। तो, ऐसा ग्रह कुंडली में अपना इच्छित प्रभाव नहीं दे पाएगा।

तो यह हमारे लिए अच्छा है या बुरा?

खैर, यह उस ग्रह पर निर्भर करेगा। यदि वह ग्रह आपके लिए अनुकूल (योगकारक) था, तो उसकी शक्ति के नुकसान का मतलब है कि आपने एक अच्छा सहयोगी खो दिया है। लेकिन अगर वह ग्रह आपके लिए प्रतिकूल (मारक) था, तो आप भाग्यशाली हैं - यह अपने इच्छित बुरे परिणाम नहीं दे पाएगा।

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