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खिड़की पर पक्षी - एक अजीब जीवन-अनुभव (लघु कथा)

आज हम आपके लिए एक ऐसी कहानी लेकर आ रहे हैं, जो एक वास्तविक घटना से प्रेरित है। हम आपके साथ एक जीवन-अनुभव को साझा करेंगे, जो आपको यह सोचने के लिए मजबूर करेगा कि आप दूसरों की मदद कैसे करते हैं।

1990 के दशक के भारत में, बहुत सारे गिरोह हुआ करते थे और अंडरवर्ल्ड मुंबई सहित कई बड़े शहरों में पकड़ रखता था। इन गिरोहों के ज़्यादातर सदस्य स्थानीय होते थे, लेकिन उनमें से कुछ अन्य देशों से भी थे, उदाहरण के लिए ईरान, अफगानिस्तान और यहां तक ​​कि ऑस्ट्रेलिया से।

यह कहानी एक ऐसे ऑस्ट्रेलियाई गिरोह के सदस्य, एंडी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो गिरफ्तार हो गया और भारतीय जेल में बंद था। उस पर हत्या, गैंगवार और ऐसे अन्य कई अपराधों के गंभीर आरोप लगाए गए थे। इसलिए उसे 7 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी।

जैसा कि खतरनाक गिरोह के सदस्यों के साथ होता है, उसे एकांत सेल में डाल दिया गया। उस सेल में सिर्फ एक खिड़की थी, जोकि छत के पास थी और उसमें लोहे की सलाखें लगी थीं। जेल के क़ैदियों को दिन में केवल एक बार ही बाहर जाने और दूसरों के साथ घुलने-मिलने की अनुमति थी, और वह भी केवल आधे घंटे के लिए।

क्या आप अपने जीवन में लंबे समय तक अकेले रहे हैं? यह जल्द ही बहुत कठिन लगने लगता है, और ज्यादातर लोगों के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से बहुत तनावपूर्ण साबित हो सकता है। यह आपको पागल कर सकता है, खासकर यदि आप एक बहिर्मुखी व्यक्ति हैं।

एंडी ने भी उस जेल के कमरे में कुछ महीनों के बाद किसी के साथ के लिए तरसना शुरू कर दिया। एक दिन उसने खिड़की पर एक गौरैया को देखा। उसने देखा कि वह हर दूसरे दिन दोपहर में आती थी, और कुछ देर के लिए उस खिड़की पर बैठती थी।

एंडी ने अपना कुछ खाना खिड़की के पास रखने की आदत बना ली। उसके हाथ खिड़की तक नहीं पहुंचते थे, लेकिन वह कुछ भोजन वहां तक फेंकने में कामयाब हो जाता था।

जल्द ही गौरैया ने उस भोजन को पाने के लिए उस खिड़की पर आने की आदत बना ली, लगभग हर रोज। समय के साथ यह कमरे के भीतर भी आने लगी और फर्श पर और एंडी के बिस्तर पर पड़े भोजन को भी खाने लगी।

एक वर्ष के भीतर गौरैया एंडी के एकांत की साथी बन गयी। वो चिड़िया एंडी से इतना घुलमिल गयी कि उसकी हथेलियों से भी खाना ग्रहण करने लगी। एंडी उस पक्षी की अच्छे से देखभाल करता था, और रोज उसके आने का इंतज़ार करता था।

पर भाग्य को कुछ और ही मंज़ूर था| एंडी को एक दिन दूसरे कमरे में स्थानांतरित कर दिया गया। इससे एंडी चिंतित हो गया। वो सोचने लगा कि अब उस छोटी चिड़िया को कौन खिलाएगा?

जिस कैदी को एंडी के पुराने कमरे में स्थानांतरित किया गया था, उसका नाम रॉबर्ट था। एंडी ने उसे गौरैया के बारे में बताया और रोबर्ट को उसकी देखभाल करने के लिए कहा। दोपहर के भोजन के समय, एंडी ने रॉबर्ट को गौरैया को देने के लिए कुछ खाना भी दिया।

अगले दिन, दोपहर के भोजन के समय रॉबर्ट अपनी हथेलियों में कुछ लेकर आया। उसने एंडी को बुलाया और उसे गौरैया दिखाई। वह मर चुका था। उसने उस छोटी चिड़िया को यातनाएँ देकर मार डाला था। एंडी को बहुत बड़ा झटका लगा और वो गुस्से से भर गया। वह रॉबर्ट के साथ वहीँ मार-पीट करने लगा। लेकिन गार्ड और अन्य कैदियों ने हस्तक्षेप किया और हातापाई को रोक दिया।

उस रात एंडी बहुत रोया| उसने उस पक्षी के साथ दोस्ती करने के अपने निर्णय के बारे में बहुत सोचा, और रॉबर्ट को उस पक्षी के बारे में बताने के अपने फैसले पर भी बहुत पश्चाताप किया।

उपसंहार

क्या उस पक्षी की मौत के लिए किसी तरह से एंडी जिम्मेदार था? क्या हम कभी-कभी दूसरों को चोट पहुँचाते हैं या नुकसान पहुँचाते हैं, भले ही हमारा इरादा उनकी मदद करना हो?

क्या हमें विस्तार से सोचे बिना कुछ करना चाहिए, सभी अच्छे और बुरे पक्षों के बारे में सोचे बिना; चाहे वो किसी की मदद या किसी का अच्छा करने जैसा अच्छा काम ही क्यों ना हो?

हम जानना चाहेंगे कि आप इस बारे में क्या सोचते हैं।

क्या आपने ऐसा कुछ अनुभव किया है, जिसमें आपने अनजाने में किसी को नुकसान पहुंचाया हो, भले ही आप उसकी मदद करना चाहते थे? या हो सकता है कि किसी ने आपका कुछ भला किया हो, लेकिन लंबे समय में वो आपके लिए हानिकारक सिद्ध हुआ हो!

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