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कण भौतिकी में मानक मॉडल क्या है? (Particle Physics ka Standard Model kya hai?)

इस लेख में, हम कण भौतिकी के मानक मॉडल (Standard Model of Particle Physics) की मूल बातें सीखने जा रहे हैं। हालाँकि, ऐसा करने से पहले, हमें इसके संदर्भ को स्पष्ट करने की आवश्यकता है।

भौतिकी में हम अपने अस्तित्व के बहुत ही बुनियादी सवालों के जवाब देने की कोशिश करते हैं, जैसे की हमारा ब्रह्मांड किस चीज से बना है, हमारी दुनिया को नियंत्रित करने वाली मूलभूत ताकतें और नियम क्या हैं, आदि।

ऐसा करने के लिए, भौतिकविदों के दो समूह एक साथ काम करते हैं:

  • सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी (Theoretical Physicists) - भौतिक विज्ञानी जो नए विचार और सिद्धांत देते हैं, मानसिक प्रयोग करते हैं, गणित का काम करते हैं, और यहां तक कि उन चीजों की भविष्यवाणी भी करते हैं जिनका पता लगाया जाना बाकी है। आइंस्टीन (Einstein) और स्टीफ़न हॉकिंग (Stephen Hawking) आज तक के सबसे प्रसिद्ध सैद्धांतिक भौतिकविदों में से एक हैं। आइंस्टीन के विचार प्रयोग (thought experiments) अब वैज्ञानिकों के बीच लगभग किवदंतियों के रूप में याद किये जाते हैं।
  • प्रायोगिक भौतिक विज्ञानी (Experimental Physicists) - भौतिक विज्ञानी जो प्रयोगशालाओं में काम करते हैं और सैद्धांतिक भौतिकविदों द्वारा बनाए गए सिद्धांतों और परिकल्पना को सत्यापित करने का प्रयास करते हैं। और कभी-कभी नई अज्ञात घटना भी खोज लेते हैं।

पिछले 100 से अधिक वर्षों से भौतिक विज्ञानी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि ब्रह्मांड कैसे काम करता है और यह किस चीज से बना है, चीज़ों को तोड़कर और फिर उनका विश्लेषण करके।

हजारों वर्षों से लोग यह सोचते थे कि परमाणु (atom) भौतिक अस्तित्व की सबसे छोटी इकाई है। लेकिन बाद में हमें पता चला कि परमाणु स्वयं नाभिक और इलेक्ट्रॉनों से बना होता है, और नाभिक खुद प्रोटॉन और न्यूट्रॉन नामक कणों से बना होता है।

हालाँकि, यह कहानी का अंत नहीं था। बल्कि हमने सिर्फ भानुमती का पिटारा खोला भर था। हमने जितनी गहराई से देखा, उतने ही छोटे कण हमने देखे।

वास्तव में, उच्च और और अधिक उच्च ऊर्जा के साथ चीजों को तोड़ने का हमारा जुनून इतना अधिक रहा है कि हमने विशालकाय आकार के कण त्वरकों (particle accelerators) का निर्माण किया है - जिनेवा (Geneva) में स्तिथ लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (Large Hadron Collider - LHC) इनमें से सबसे बड़ा है, जो लगभग एक शहर के आकार का है|

इसमें हम दो प्रोटॉन को लगभग प्रकाश की गति देते हैं और फिर उन्हें आमने-सामने से टकरा देते हैं। भौतिक विज्ञानी तब टकराव के बाद का अध्ययन करते हैं और नए कणों को खोजने का प्रयास करते हैं। नवीनतम खोज हिग्स बोसॉन (Higgs Boson) है, जिसे गॉड पार्टिकल (God Particle) के नाम से भी जाना जाता है।

हालाँकि, यह खोज अपेक्षित थी। वास्तव में, प्रायोगिक भौतिक विज्ञानी हिग्स बोसोन को खोजने की उम्मीद कर रहे थे। ऐसा इसलिए था क्योंकि कण भौतिकी के मानक मॉडल (Standard Model of Particle Physics) ने भविष्यवाणी की थी कि ऐसा कण मौजूद होना चाहिए। इस मॉडल ने प्रायोगिक भौतिकविदों को ऐसे कण के अपेक्षित गुणों के बारे में भी जानकारी प्रदान की।

तो, कण भौतिकी का मानक मॉडल हमारे ब्रह्मांड में अपेक्षित मौलिक कणों का एक मॉडल है। इसमें वे सभी मूलभूत कण हैं जिन्हें हम पहले से जानते हैं, और कुछ जिन्हें हम खोजने की उम्मीद कर रहे हैं। अतः, यह एक ऐसा कार्य है जो प्रगति पर है।

यह Theory of Everything के प्रमुख उम्मीदवारों में से एक है, एक ऐसा सिद्धांत जो इस ब्रह्मांड में हर चीज की व्याख्या कर सकता है। दुनिया भर के प्रायोगिक भौतिक विज्ञानी इस मॉडल का परीक्षण करने की कोशिश कर रहे हैं, और इस प्रकार इस मॉडल को सत्यापित (या अस्वीकार) करने की कश्मकश जारी है।

नोट

प्रतिष्ठित Theory of Everything के लिए कई उम्मीदवार हैं, जैसे की स्ट्रिंग थ्योरी (String Theory), मानक मॉडल (Standard Model), आदि।

इसके अलावा, इन सिद्धांतों और मॉडलों के विभिन्न संस्करण भी हैं, जैसे की स्ट्रिंग थ्योरी के विभिन्न संस्करण हैं, कुछ 10 आयामों की भविष्यवाणी करते हैं, और कुछ 11 की।

सुपर-समरूपता (Super-symmetry) एक मॉडल है जो मानक मॉडल (Standard Model) को आधार बनाकर विकसित किया गया है और यह हमारे ब्रह्मांड के मूलभूत कणों (Fundamental Particles) की संख्या को दोगुना कर देता है।

अब, हम यहां किस बारे में बात कर रहे हैं, इसकी कुछ बुनियादी समझ आपको हो गयी है। अतः, अब हम मानक मॉडल की बारीकियों में गहराई से उतर सकते हैं।

Table of Contents
  • मौलिक कणों के मानक मॉडल का विवरण
  • मानक मॉडल के विभिन्न प्राथमिक कण

मौलिक कणों के मानक मॉडल का विवरण (Standard Model in Hindi)

मानक मॉडल (Standard Model) बहुत छोटे और (अभी तक) अविभाज्य प्राथमिक कणों का एक समूह है, जो हमारे ब्रह्मांड का निर्माण करते हैं। यह यह भी बताता है कि ये कण प्रकृति की मूलभूत शक्तियों (कमजोर और मजबूत परमाणु बल, विद्युत चुम्बकीय बल, गुरुत्वाकर्षण), द्रव्यमान आदि को जन्म देने के लिए एक दूसरे पर कैसे प्रभाव डालते हैं।

मानक मॉडल में मूल रूप से दो प्रकार के मौलिक कण होते हैं:

  • फर्मिऑन्स (Fermions) - इन्हें क्वार्क और लेप्टान (Quarks and Leptons) में उप-विभाजित किया जाता है। वे हमारे ब्रह्माण्ड में सभी पदार्थ बनाते हैं, इसलिए उन्हें मैटर पार्टिकल्स (Matter Particles) भी कहा जाता है।
  • बोसॉन (Bosons) - इन्हें वेक्टर बोसॉन, स्केलर बोसॉन और टेन्सर बोसॉन (Vector Bosons, Scalar Bosons, and Tensor Bosons) में उप-विभाजित किया जाता है। (टेन्सर बेसन अभी तक प्रयोगात्मक रूप से नहीं पाए गए हैं)। वेक्टर बोसॉन (Vector Bosons) चार मूलभूत बलों के लिए जिम्मेदार हैं, और इसलिए इन्हें फोर्स कैरियर्स (Force Carriers) कहा जाता है। स्केलर बोसॉन (Scalar Bosons), यानी हिग्स बोसॉन कुछ अन्य मूलभूत कणों को द्रव्यमान प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हैं।

जैसा कि पहले ही उल्लेख किया गया है, मानक मॉडल के अनुसार प्रकृति की चार मूलभूत शक्तियां हैं:

  • कमजोर परमाणु बल (Weak nuclear force)
  • मजबूत परमाणु बल (Strong nuclear force)
  • विद्युत चुम्बकीय बल (Electromagnetic force)
  • गुरुत्वाकर्षण (Gravity)

यहाँ नीचे वो आरेख दर्शाया गया है, जो मानक मॉडल में स्तिथ सभी मूलकणों को प्रदर्शित करता है: Standard Model

जैसा कि पहले ही बताया गया है, यह कार्य प्रगति पर है और यह मॉडल कुछ ऐसे कणों की भविष्यवाणी करता है जो अभी तक नहीं मिले हैं। इस मॉडल में सबसे हाल ही में जोड़ा गया मूलकण हिग्स बोसोन (Higgs Boson, गॉड पार्टिकल) है।

जबकि ग्रेविटॉन (Graviton) एक ऐसा कण है जो गुरुत्वाकर्षण के मौलिक बल की व्याख्या करेगा। इसकी भविष्यवाणी मानक मॉडल द्वारा की जाती है। लेकिन यह अभी भी प्रयोगों में नहीं पाया गया है।

प्रतिकण

मानक मॉडल के सभी कणों के प्रतिकण (anti-matter) संस्करण भी होते हैं - वो मौलिक कण जिनमें विपरीत चार्ज होता है लेकिन अन्यथा वो सामान्य कणों जैसे ही होते हैं।

हम इसे कैसे जानते हैं?

क्योंकि पार्टिकल कोलाइडर में प्रतिकणों (एंटी-मैटर पार्टिकल्स) का उत्पादन और अवलोकन किया गया है। परन्तु, वे पदार्थ के कणों के साथ बहुत जल्द ही जुड़ जाते हैं और शुद्ध ऊर्जा का उत्पादन करते हुए एक दूसरे को नष्ट कर देते हैं।

आइए अब इन मूलकणों के बारे में अधिक विस्तार से अध्ययन करें।

मानक मॉडल के विभिन्न मूलकण (Standard Model ke Moolkan)

इलेक्ट्रॉन (e)

अणु (Molecule) किसी भी रासायनिक यौगिक की सबसे छोटी इकाई है, जैसे की H2O (जल अणु), O2 (ऑक्सीजन अणु), आदि। ये अणु उन तत्वों से बने होते हैं जिन्हें आवर्त सारणी (periodic table) में पाया जा सकता है।

परमाणु (Atom) आवर्त सारणी में किसी भी तत्व की सबसे छोटी इकाई है, जैसे की हाइड्रोजन परमाणु (H), ऑक्सीजन परमाणु (O), आदि। परन्तु, परमाणु पदार्थ की सबसे छोटी इकाई नहीं है (हालाँकि वैज्ञानिक कई शताब्दियों तक ऐसा सोचते थे)।

प्रत्येक परमाणु में एक नाभिक होता है (जिसमें प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होते हैं), और इलेक्ट्रॉन इसके चारों ओर घूमते हैं।

ये इलेक्ट्रॉन (Electron) मानक मॉडल का हिस्सा हैं, क्योंकि ये अविभाज्य मौलिक कण हैं (अभी तक)। वास्तव में, इलेक्ट्रॉन मानक मॉडल के पहले खोजे गए मौलिक कण थे।

म्यूऑन (Muon - μ) और टाउ (Tau - 𝜏)

म्यूऑन (Muon - μ) और टाउ (Tau - 𝜏) इलेक्ट्रॉन के भारी सहोदर हैं। हम उन्हें केवल कण कोलाइडर (particle colliders) में देखते हैं, जब हम प्रोटॉन और परमाणुओं को एक साथ टकराते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि ये अपेक्षाकृत भारी होते हैं, और बहुत जल्दी हल्के कणों में क्षय हो जाते हैं।

फोटोन (γ)

इलेक्ट्रॉन विद्युत चुम्बकीय बल द्वारा परमाणु के नाभिक से बंधे होते हैं। फोटॉन (Photons) वे कण होते हैं जो विद्युत चुम्बकीय बल से जुड़े होते हैं। उन्हें ग्रीक प्रतीक गामा (γ), द्वारा निरूपित किया जाता है।

तो, इलेक्ट्रॉन और परमाणु के नाभिक फोटॉन का आदान-प्रदान करते हैं और इस प्रकार एक दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं। यह वही कण है, जो विद्युत चुम्बकीय बल (electromagnetic force) को जन्म देता है।

प्रकाश

जो प्रकाश हम देखते हैं वह भी फोटॉन से बना होता है। अतः, प्रकाश मूल रूप से एक विद्युत चुम्बकीय तरंग है।

क्वार्क और ग्लून्स (Quarks and Gluons)

हम पहले से ही जानते हैं कि परमाणु का नाभिक न्यूट्रॉन और प्रोटॉन से बना होता है। लेकिन ये कण भी मौलिक कण नहीं हैं, क्योंकि इन्हें और भी उप-विभाजित किया जा सकता है।

प्रोटॉन और न्यूट्रॉन क्वार्क (Quarks) से बने होते हैं, जो प्रकृति के मूलभूत कण हैं।

  • प्रोटॉन 2 अप क्वार्क (Up Quarks) और 1 डाउन क्वार्क (Down Quark) से बना है।
  • न्यूट्रॉन 1 अप क्वार्क (Up Quark) और 2 डाउन क्वार्क (Down Quarks) से बना है।

न्यूक्लियस को मानक मॉडल के एक अन्य मौलिक बल द्वारा एक साथ रखा जाता है, जिसे प्रबल परमाणु बल (Strong Nuclear force) कहा जाता है। ग्लून्स (Gluons, g) नामक मौलिक कण इस प्रबल नाभिकीय बल को वहन करते हैं।

क्वार्क के प्रकार

मूल रूप से 6 प्रकार के क्वार्क हैं जो आपको स्टैंडर्ड मॉडल में मिलेंगे।

  • Up quark (u)
  • Down quark (d)
  • Strange quark (s)
  • Charm quark (c)
  • Bottom quark (b)
  • Top quark (t)

Strange, Charm, Bottom, और Top क्वार्क हम केवल पार्टिकल कोलाइडर में देखते हैं, जब हम उच्च गति पर प्रोटॉन को एक साथ टकराते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि ये अपेक्षाकृत भारी होते हैं, और बहुत जल्दी हल्के कणों में क्षय हो जाते हैं।

w और z मूलभूत कण

हम जानते हैं कि इलेक्ट्रॉनों और क्वार्कों के भारी संस्करण तेजी से क्षय होते हैं। यह w और z मूलभूत कणों के आदान-प्रदान के माध्यम से होता है। ये कण दुर्बल नाभिकीय बल (Weak Nuclear force) को वहन करने के लिए उत्तरदायी होते हैं।

यह बल न्यूट्रॉन और प्रोटॉन को एक दूसरे में बदलने के लिए भी जिम्मेदार हैं, और इस प्रकार परमाणु संलयन (nuclear fusion) की प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार हैं (वह प्रक्रिया जो हमारे ब्रह्माण्ड में स्तिथ हर तारे के ईंधन का स्रोत है)।

हम इन w और z मूलभूत कणों को केवल उच्च-ऊर्जा कण कोलाइडर (high-energy particle colliders) में देख सकते हैं।

नोट

फोटॉन और ग्लूऑन के विपरीत, w और z कणों में द्रव्यमान होता है।

न्यूट्रिनो (ν)

ये मौलिक कण केवल कमजोर परमाणु बल के माध्यम से अन्य मूलभूत कणों पर प्रभाव डालते हैं। वे ग्रीक प्रतीक nu (ν) द्वारा दर्शाए जाते हैं।

सूर्य द्वारा उत्पादित अरबों न्यूट्रिनो (neutrinos) हमारे शरीर के परमाणुओं पर कोई प्रभाव डाले बिना हर दिन हमारे शरीर से गुजरते हैं।

इन न्यूट्रॉनों का पता लगाने के लिए पानी के बड़े टैंक पहाड़ों के अंदर गहरे में रखे गए थे। फिर भी वैज्ञानिक केवल मुट्ठी भर न्यूट्रिनो सम्बंधित परस्पर क्रियाओं का ही पता लगा पाए हैं। यह घटनाएं काफी दुर्लभ होती हैं।

न्यूट्रिनो तीन प्रकार के होते हैं, जिसमें से प्रत्येक इलेक्ट्रॉन के एक निश्चित संस्करण से जुड़ा होता है:

  • इलेक्ट्रॉन न्यूट्रिनो, Electron Neutrino (νe)
  • मून न्यूट्रिनो, Muon Neutrino (νμ)
  • टाउ न्यूट्रिनो, Tau Neutrino (ν𝜏)

हिग्स बोसॉन (H)

हिग्स बोसोन (Higgs Boson) मानक मॉडल में एक कण है जो हिग्स क्षेत्र (Higgs field) से संबंधित है। इस क्षेत्र के प्रभाव में आने वाले कणों का द्रव्यमान होता है - जितना अधिक प्रभाव, उतना ही अधिक द्रव्यमान। हालांकि, कुछ कण इसके बिल्कुल भी प्रभाव में नहीं आते हैं और इसलिए द्रव्यमान रहित होते हैं, जैसे की फोटॉन (photons)|

विभिन्न प्रकार के हिग्स बोसोन

कुछ सैद्धांतिक भौतिकविदों के अनुसार, केवल एक हिग्स बोसॉन के बजाय, यह एक से अधिक हो सकते हैं। एक वैज्ञानिक की परिकल्पना में 5 अलग-अलग प्रकार के हिग्स बोसॉन शामिल हैं, जो डार्क मैटर की व्याख्या कर सकते हैं। इसका परीक्षण अभी भी लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC) में किया जा रहा है।

लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (Large Hadron Collider) में प्रोटॉन के एक अरब टकराव में हिग्स बोसोन केवल 4-5 बार ही उत्पन्न होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हिग्स बोसोन का उत्पादन करने के लिए प्रोटॉन को एक विशेष तरीके से टकराना चाहिए।

इसके अलावा, जब इसका उत्पादन होता भी है, तब भी इसका जीवनकाल बहुत छोटा होता है। इसलिए, इसको पहचान पाना कठिन है, और विभिन्न प्रकार के हिग्स बोसॉन को खोजने में कुछ समय लग सकता है (भले ही हम मान लें कि वे मौजूद हैं)।

उपसंहार

स्टैंडर्ड मॉडल अभी भी थ्योरी ऑफ एवरीथिंग (Theory of Everything) बनने से बहुत दूर है, जो हमारे आसपास की दुनिया की हर चीज की व्याख्या कर सकता हो। वैज्ञानिक अभी भी दुनिया भर के कण त्वरक में इसका परीक्षण कर रहे हैं।

हमारे पास अभी भी कई प्रश्न हैं जिन्हें स्पष्टीकरण की आवश्यकता है, उदाहरण के लिए:

  • मानक मॉडल को गुरुत्वाकर्षण के मौलिक बल के साथ कैसे समाहित करें?
  • पदार्थ के कण (matter particles) बल वाहकों (force carriers) के साथ किस प्रकार परस्पर क्रिया करते हैं?
  • डार्क मैटर (dark matter) क्या है, जो हमारे ब्रह्मांड में सामान्य पदार्थ से कहीं अधिक मात्रा में पाया जाता है?

लेकिन भविष्य आशाजनक दिख रहा है। और फिर ऐसा भी नहीं है कि हम अपने ब्रह्मांड की वास्तविकताओं को समझने के लिए सिर्फ इस मॉडल पर पूरी तरह निर्भर हैं। कई अन्य प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार भी हैं, जैसे कि स्ट्रिंग थ्योरी (String Theory), एम थ्योरी (M Theory), आदि। और साथ ही, मानक मॉडल के कई संस्करणों पर भी शोध चल रहा है, जैसे की सुपरसिमेट्री (Supersymmetry)।

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