स्ट्रिंग थ्योरी क्या है? (String Theory kya hoti hai?)
इस लेख में हम जानेंगे - String Theory in Physics, in Hindi
हम सदियों से जिस दुनिया में रहते हैं, उसे समझने की कोशिश में जुटे रहे हैं। लोगों ने अलग-अलग सिद्धांत देकर वास्तविकता को समझने की कोशिश की - पृथ्वी को अपनी पीठ पर रखे हुए एक कछुआ हो, या एक सपाट पृथ्वी, या हमारे सौर मंडल का भू-केंद्रीय मॉडल (geocentric model), आदि।
लेकिन पिछले 100 वर्षों में हम ब्रह्मांड की उत्पत्ति और वास्तविक प्रकृति के बारे में और अधिक परिष्कृत सिद्धांतों के साथ सामने आए हैं। स्ट्रिंग सिद्धांत (String theory) 20 वीं शताब्दी के प्रतिभाशाली दिमागों द्वारा सामने रखे गए ऐसे कई सिद्धांतों में से एक है।
कण भौतिकी के मानक मॉडल (Standard Model of Particle physics), सुपरसिमेट्री (Supersymmetry), आदि कुछ अन्य ऐसे सिद्धांत हैं जिनका उद्देश्य हमारे ब्रह्मांड की मूल प्रकृति की व्याख्या करना है, अर्थात हमारा ब्रह्मांड किस चीज से बना है और यह कैसे काम करता है। यह प्रतिष्ठित “सब कुछ का सिद्धांत (Theory of Everything)” बनाने की दौड़ है।
परन्तु, ये सभी सिद्धांत और मॉडल अभी विकसित हो रहे हैं। वैज्ञानिक अभी भी इन सिद्धांतों के कई नए संस्करण लेकर सामने आ रहे हैं, और उनके विभिन्न पहलुओं का परीक्षण कर रहे हैं। यहां तक कि स्ट्रिंग थ्योरी के भी कई संस्करण हैं। लेकिन इस लेख में, हम स्ट्रिंग थ्योरी से संबंधित बहुत ही बुनियादी बातों पर चर्चा करेंगे, जो कि इसके किसी भी संस्करण के लिए सही होंगीं।
- स्ट्रिंग थ्योरी क्या है?
- स्ट्रिंग थ्योरी की आवश्यकता क्यों पड़ी?
- स्ट्रिंग थ्योरी का विवरण
- स्ट्रिंग थ्योरी के मजबूत और कमज़ोर पक्ष
स्ट्रिंग थ्योरी क्या है? (String Theory kya hai?)
प्राचीन काल से, हम पदार्थ को कणों से बना हुआ समझने के अभ्यस्त हैं। हम किसी वस्तु को जितना अधिक तोड़ते हैं, उतने ही छोटे कण हमें प्राप्त होते हैं। शुरू में हमें परमाणु, फिर प्रोटॉन, न्यूट्रॉन, इलेक्ट्रॉन और फिर क्वार्क और उसके बाद उससे भी छोटे कण देखने को मिले।
वास्तव में, हमारे पास अब प्राथमिक कणों (elementary particles) का एक चिड़ियाघर सा है, जिसे कण भौतिकी के मानक मॉडल (Standard Model of Particle physics) में दर्शाया जा सकता है। हालांकि, स्ट्रिंग सिद्धांत ब्रह्मांड को इस तरह से नहीं देखता है।
स्ट्रिंग सिद्धांत के अनुसार, ब्रह्मांड में सब कुछ लगभग शून्य मोटाई के अनंत लंबे तारों से बना है। जिस तरह से ये तार कंपन करते हैं, वह प्राथमिक कणों और पदार्थों के विभिन्न रूपों को जन्म देता है।
स्ट्रिंग सिद्धांत ब्रह्मांड के वैदिक विचार की तरह लगता है। संपूर्ण वैदिक प्रणाली मंत्रों और स्पंदनों पर आधारित है, उनमें से सबसे महत्वपूर्ण ‘OM’ मंत्र है। ‘ओम’ मंत्र का ‘ओ’ ब्रह्मांड की शुरुआत और ‘म’ अंत का प्रतिनिधित्व करने वाला माना जाता है।
स्ट्रिंग थ्योरी की आवश्यकता क्यों पड़ी? (String Theory ki jaroorat kyun padi)
सभी क्वांटम कणों की एक दोहरी प्रकृति होती है, अर्थात वे एक कण के रूप में और एक तरंग के रूप में मौजूद हो सकते हैं। यह प्रयोगात्मक रूप से सिद्ध हो चुका है। फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव (photoelectric effect) ऐसे क्वांटम कणों की कण प्रकृति (particle nature) को प्रदर्शित करता है, जबकि यंग का डबल स्लिट प्रयोग (Young’s double slit experiment) उनकी तरंग प्रकृति (wave nature) को प्रदर्शित करता है।
हाइजेनबर्ग के अनिश्चितता सिद्धांत (Heisenberg’s uncertainty principal) के अनुसार, हम क्वांटम कण की सटीक स्थिति और गति को कभी भी एक साथ नहीं जान सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारा उन्हें देखने का कार्य ही उनकी स्थिति या गति को बदल देता है। इसलिए, क्वांटम विशेषज्ञ इन क्वांटम कणों को एक संभाव्यता क्षेत्र (probability field) के रूप में मानते हैं, जो हमारे द्वारा इनका निरीक्षण करने पर एक बिंदु पर संघनित हो सकता है।
इन क्वांटम कणों को बिंदुओं के रूप में मानकर (जैसा कि हम मानक मॉडल में करते हैं) हम उस जटिलता को काफी कम कर सकते हैं जिसका सामना हम अन्यथा करेंगे।
अब यह सब तो ठीक है। लेकिन कण भौतिकी के मानक मॉडल में एक समस्या है। यह हमें गुरुत्वाकर्षण की प्रकृति के बारे में नहीं बता सकता है।
स्टैंडर्ड मॉडल में कई बल वाहक कण (force carrier particles) होते हैं, जो प्रकृति के चार मूलभूत बलों के लिए जिम्मेदार होते हैं।
- विद्युतचुंबकीय बल (Electromagnetic force) का फोटोन (Photons) द्वारा वहन किया जाता है
- मजबूत परमाणु बल (Strong Nuclear force) का ग्लून्स (Gluons) द्वारा वहन किया जाता है
- कमजोर परमाणु बल (Weak Nuclear force) का W-Bosons और Z-Bosons द्वारा वहन किया जाता है।
परन्तु, वैज्ञानिकों अभी भी गुरुत्वाकर्षण के मौलिक बल के लिए जिम्मेदार बल वाहक कण (ग्रेविटॉन, Graviton) की खोज नहीं कर पाए हैं। यहां तक कि, जब वे इस कण को सिद्धांत रूप में मानक मॉडल में जोड़ते हैं और गणना करते हैं, तो गणित भी ऊट-पटांग उत्तर देने लगता है।
इसके अलावा, आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता सिद्धांत के अनुसार, गुरुत्वाकर्षण अन्य मूलभूत बलों से अलग है। यह ब्रह्मांड में मौजूद सभी कणों को प्रभावित करता है। गुरुत्वाकर्षण को अंतरिक्ष-समय (space-time) का हिस्सा मानें, जो कि विभिन्न प्राथमिक कणों और अन्य मौलिक बलों द्वारा किए जा रहे नाटक का मंचन क्षेत्र है।
इसके अलावा, क्वांटम दुनिया में हम कभी भी दो बिंदुओं के बीच की दूरी को सटीकता से नहीं माप सकते। और गुरुत्वाकर्षण की गणना के लिए हमें दो वस्तुओं के बीच एक सटीक दूरी की आवश्यकता होती है।
तो, आप देख सकते हैं कि वैज्ञानिकों को किन मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है, जब मानक मॉडल या क्वांटम भौतिकी के साथ गुरुत्वाकर्षण के संयोजन की बात आती है। अगर वे ऐसा कर पाते हैं तो शायद यह भौतिकी में अब तक की सबसे बड़ी खोज होगी। हमें सब कुछ का प्रतिष्ठित सिद्धांत (Theory of Everything) मिलेगा।
इसलिए, इन मुद्दों को हल करने के लिए, कुछ वैज्ञानिकों ने इस विचार को छोड़ने का फैसला किया कि मौलिक कण अंतरिक्ष में बिंदु के समान हैं। इसके बजाय उन्होंने उन्हें अनंत लंबाई की रेखा के रूप में माना। और इस प्रकार स्ट्रिंग थ्योरी का जन्म हुआ!
स्ट्रिंग थ्योरी का विवरण
तो, अब आप स्ट्रिंग सिद्धांत की मूल बातें जानते हैं, और यह भी की इसे क्यों प्रतिपादित किया गया था। अब समय आ गया है कि हम इस आकर्षक सिद्धांत को थोड़ा और गहराई से देखें।
स्ट्रिंग सिद्धांत मौलिक कणों को स्ट्रिंग्स के कंपन के विभिन्न तरीकों के रूप में देखता है। एक ही स्ट्रिंग अलग-अलग तरीकों से कंपन करके अलग-अलग प्राथमिक कणों के रूप में प्रकट हो सकती है, जैसे वायलिन या गिटार के तार अलग-अलग तरीकों से कंपन करते हुए अलग-अलग संगीत देते हैं।
और स्ट्रिंग थ्योरी का सबसे आकर्षक पहलू यह है कि इसमें गुरुत्वाकर्षण शामिल है, यानी यह इसकी व्याख्या भी करता है। यह उन सबसे बड़े कारणों में से एक है, जिसके कारण यह सिद्धांत इतना लोकप्रिय है। स्ट्रिंग थ्योरी की तरह शायद कोई अन्य सिद्धांत अपने भीतर गुरुत्वाकर्षण को आत्मसात नहीं करता है। गुरुत्वाकर्षण अधिकांश अन्य सिद्धांतों के लिए टेढ़ी खीर साबित हुआ है। पर यह स्ट्रिंग थ्योरी के सिर का ताज है।
अतः, यह सिद्धांत हमें आशा देता है कि एक दिन हम प्रकृति की सभी चार मौलिक शक्तियों को एक सिद्धांत के अंदर जोड़ सकते हैं, और Theory of Everything प्राप्त कर सकते हैं।
हालाँकि, स्ट्रिंग थ्योरी के साथ कुछ समस्याएँ भी हैं।
स्ट्रिंग थ्योरी के मजबूत और कमज़ोर पक्ष (String Theory ke acche pehlu aur kamiyan)
पहला मुद्दा: बहुत अधिक आयाम (Too many Dimensions)
हम सभी जानते हैं कि हम एक 4-आयामी दुनिया में रहते हैं - लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई (3 आकाशीय आयाम, space dimensions), और एक समय आयाम (जो कि एक दिशा में ही होता है, क्योंकि समय केवल एक दिशा में चलता है)।
परन्तु, स्ट्रिंग थ्योरी के विभिन्न संस्करणों के अनुसार, हमें 10 या 11 आयामी ब्रह्मांड में होना चाहिए। संपूर्ण भौतिकी में यह एकमात्र सिद्धांत है जो अपनी स्वयं की आयामीता चुनता है।
वैज्ञानिकों को इन अतिरिक्त आयामों की कल्पना करना और उनके साथ काम करना बहुत कठिन लगता है, जो अभी तक देखे नहीं गए हैं, और विशुद्ध रूप से काल्पनिक हैं। अधिकांश विशेषज्ञों के अनुसार, यदि ये अतिरिक्त आयाम मौजूद हैं, तो उन्हें बहुत छोटी जगह में सीमित होना चाहिए, जिस कारण उन्हें देखना असंभव है।
दूसरा मुद्दा: कोई भविष्यवाणी या प्रायोगिक प्रमाण नहीं (No Prediction or Experimental proof)
अब तक कोई भी स्ट्रिंग थ्योरी सिद्धांतकार स्ट्रिंग थ्योरी के अतिरिक्त आयामों को खत्म करने और हमारे 4-आयामी ब्रह्मांड के लिए उपयोगी कुछ भविष्यवाणी करने में सफल नहीं हुआ है। न ही किसी प्रयोग ने स्ट्रिंग थ्योरी के किसी पहलू को सिद्ध किया है। (इसकी तुलना में, मानक मॉडल ने वैज्ञानिकों को कई नए मौलिक कणों को खोजने में मदद की है, जिसमे नवीनतम हिग्स बोसोन, Higgs Boson है)
तो, दशकों के काम के बाद भी, यह सिद्धांत अब तक विशुद्ध रूप से सैद्धांतिक है। कुछ लोगों के अनुसार, हमें इस सिद्धांत से सम्बंधित किसी भी परीक्षण को करने के लिए सौर मंडल के आकार के एक प्रयोगात्मक सेटअप की आवश्यकता है, जो इस सिद्धांत को सत्यापित (या अस्वीकार) कर सके।
तो अभी वस्तुस्तिथि यह है कि, मानव सभ्यता इस सिद्धांत का प्रयोगात्मक परीक्षण करने की स्थिति में नहीं है। यह इसे गलत नहीं बनाता है, लेकिन निश्चित रूप से स्ट्रिंग थ्योरी अनुसंधान में करियर बनाने की सोच रहे किसी भी व्यक्ति के लिए एक हतोत्साहजनक (demotivating) कारक के रूप में कार्य करता है।
पर अभी भी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। स्ट्रिंग थ्योरी भविष्य में भी प्रासंगिक बनी रहेगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि गणित हमारे ब्रह्मांड की सार्वभौमिक भाषा है। और स्ट्रिंग सिद्धांत का गणित खूबसूरत और सटीक है।
यह हमें हमारे ब्रह्मांड के बारे में सुराग देता रहेगा, जैसे की क्वांटम ग्रेविटी की वास्तविक प्रकृति, ब्लैक होल के अंदर क्या होता है, आदि।
सैद्धांतिक भौतिकविदों के हाथों में यह एक कुशल उपकरण बना रहेगा। और हो सकता है कि निकट भविष्य में, हमें इसकी पहेली का लापता टुकड़ा मिल जाए, और सभी चीजें हमारे सामने शीशे के तरह साफ़ हो जाएं।