सरस्वती योग क्या है? (Saraswati yog kya hota hai?)
इस लेख में हम सरस्वती योग नामक एक बहुत ही महत्वपूर्ण योग को समझने जा रहे हैं। हम इस योग वाले लोगों की विशेषताओं, यह योग कैसे बनता है, आदि के बारे में अध्ययन करेंगे।
आइये, शुरू करते हैं।
- सरस्वती योग वाले व्यक्ति के लक्षण
- सरस्वती योग के निर्माण के लिए शर्तें
- सरस्वती योग के प्रभाव को कम या ज्यादा करने वाले कारक
- सरस्वती योग को मजबूत कैसे करें?
सरस्वती योग वाले व्यक्ति के लक्षण
जिस व्यक्ति की कुंडली में यह योग होता है, वह अपने क्षेत्र में एक बहुत ही विद्वान व्यक्ति होता है।
ऐसा व्यक्ति न केवल तेज बुद्धि (intellect) वाला होता है, बल्कि बुद्धिमान (wisdom) भी होता है। वह अनुसंधान उन्मुख होगा और अपने क्षेत्र का गहराई से अध्ययन करेगा। आप कह सकते हैं कि ऐसे व्यक्ति की बारीकी पर नजर होगी।
कृपया उच्च बुद्धि और ज्ञान को उच्च शिक्षा के साथ भ्रमित न करें। एक अनपढ़ व्यक्ति भी ज्ञान और बुद्धि में उच्च हो सकता है।
इस सरस्वती योग वाला व्यक्ति, भले ही वह अनपढ़ हो, वह जिस क्षेत्र में काम कर रहा है, उसमें उच्च कौशल और ज्ञान का प्रदर्शन करेगा। हम न केवल किताबों से सीखते हैं, बल्कि जीवन के अनुभवों, अन्य लोगों और अपने आत्मनिरीक्षण से भी सीखते हैं।
आइए, अब इस शुभ योग के निर्माण के लिए आवश्यक शर्तों पर एक नजर डालते हैं।
सरस्वती योग के निर्माण के लिए शर्तें
इस योग के निर्माण में बुध, शुक्र और बृहस्पति ग्रह शामिल हैं। तीनों ग्रह बुद्धि और ज्ञान से संबंधित हैं। बुध बुद्धि का ग्रह है, और अन्य दो ज्ञान के ग्रह हैं। बृहस्पति देवताओं का गुरु है और शुक्र राक्षसों का गुरु है।
सरस्वती योग निम्नलिखित दो मामलों में से किसी एक के होने से बनता है:
- तीनों ग्रह बुध, शुक्र और गुरु युति में हों, अर्थात तीनों को कुण्डली के एक ही भाव में बैठा होना चाहिए, या
- बुध और शुक्र की युति होनी चाहिए (अर्थात वे कुंडली के एक ही घर में होने चाहियें), और बृहस्पति की दृष्टि उन पर होनी चाहिए।
लेकिन सिर्फ इस योग का बनना ही काफी नहीं है। क्या यह योग अपने वांछित अच्छे परिणाम प्रदर्शित करने में सक्षम होगा, यह कुछ अन्य स्थितियों पर भी निर्भर करता है। आइए उन पर एक नजर डालते हैं।
सरस्वती योग के प्रभाव को कम या ज्यादा करने वाले कारक
कुछ कारक हैं जो इस योग की शक्ति को कम या ज्यादा कर सकते हैं। इनमें से कुछ को नीचे सूचीबद्ध किया गया है:
- अगर इन तीनों ग्रहों बुध, शुक्र या बृहस्पति में से किसी को भी सूर्य ने ग्रहण किया हो, तो सरस्वती योग अपनी पूरी क्षमता नहीं दिखाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि ग्रहण लगे ग्रह की शक्ति में कमी आएगी।
- यदि यह योग घर संख्या 6, 8, 12 या 3 में बन रहा है, तो यह अच्छा परिणाम तभी देगा, जब संबंधित व्यक्ति उस घर से संबंधित पेशेवर क्षेत्र में काम कर रहा हो।
- इन तीनों ग्रहों की डिग्री बहुत कम (0 से 2 तक) या बहुत अधिक (28 से 30) नहीं होनी चाहिए। बहुत कम या बहुत उच्च डिग्री का मतलब है कि संबंधित ग्रह बहुत कमजोर है और ऐसा शक्तिहीन ग्रह कोई मजबूत योग नहीं बना पाएगा।
- यदि तीनों ग्रह अनुकूल (योगकारक) हों तो यह योग बहुत अच्छा फल देगा। लेकिन यदि इन तीनों में से एक या अधिक ग्रह प्रतिकूल (मारक) हों तो इस योग का प्रभाव कम हो जाएगा।
- इस योग के साथ पाप करतारी योग नहीं बनना चाहिए।
- यदि इनमें से कुछ ग्रह अपने ही घर (स्वाग्रही) में बैठे हों, या मित्र के घर में बैठे हों, या उच्च अवस्था में हों, तो बनने वाला सरस्वती योग बहुत प्रबल होगा। अन्यथा, यह तुलनात्मक रूप से कमजोर होगा। (ग्रहों की स्थिति सुनिश्चित करने के लिए हमें चलित कुंडली पर भी एक नजर डालनी पड़ सकती है, यानी यह जांचने के लिए कि उन्होंने अपना घर बदला तो नहीं है, या 6 वें, 8 वें या 12 वें घर से जुड़े घर में तो नहीं चले गए हैं।)
- हमें राहु और केतु के अशुभ प्रभाव (पाप प्रभाव) को भी देखना होगा। हम यहां शनि के पाप प्रभाव को नहीं मानते, क्योंकि शनि स्वयं गहन चिंतन और शोध से संबंधित है।
बुध और शुक्र की युति से लक्ष्मी-नारायण योग भी बनता है, जो धन और आर्थिक स्थिति के लिए भी अच्छा है। आखिरकार, एक व्यक्ति जो अपने क्षेत्र में जानकार है, वह अमीर और समृद्ध तो कदाचित होगा ही।
सरस्वती योग को मजबूत कैसे करें?
यदि आपकी कुण्डली में यह योग है, लेकिन उपरोक्त में से एक या अधिक कारणों से यह बहुत प्रबल नहीं है, तो आप कुछ उपाय कर सकते हैं।
पहले यह जानिए कि इन तीनों में से कौन सा ग्रह (बुध, शुक्र और बृहस्पति में से) कमजोर है। फिर आप इसे मजबूत करने के लिए निम्न कार्य कर सकते हैं:
- उसके बीज/मूल मंत्र का जाप करें, और उस ग्रह या उस ग्रह पर शासन करने वाले देवता/देवी की पूजा करें।
- आप उस ग्रह को सक्रिय करने के लिए उसका रत्न धारण कर सकते हैं।
- आप ध्यान कर सकते हैं।