क्या सच में एलियंस होते हैं? (Kya alien hote hain?)
- क्या हम ब्रह्मांड में अकेले हैं? क्या आपको लगता है कि पृथ्वी से परे जीवन है?
- क्या आपको लगता है कि एलियंस मौजूद हैं? और अगर वे हैं, तो क्या वे हमारे जैसे बुद्धिमान हैं, या शायद हमसे भी अधिक उन्नत?
- क्या एलियंस कभी धरती पर आए हैं? यूएफओ, एरिया 51 आदि के बारे में क्या?
- क्या करोड़ों लोग जिन भगवानों की पूजा करते हैं, वह वाकई में एलियन हैं?
- क्या नासा, यूएस एयरफोर्स और रूस एलियन टेक्नोलॉजी की रिवर्स इंजीनियरिंग द्वारा नई तकनीक विकसित कर रहे हैं?
ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो इंसान लंबे समय से पूछ रहा है। और यही हम इस लेख में तलाशने, और चर्चा करने जा रहे हैं।
(इस लेख में हम जानेंगे - Do aliens exist?, in Hindi)
- ब्रह्मांड का विशाल आकार
- देखे गए विभिन्न यूएफओ (UFO)
- कला में चित्रित एलियंस
- दूसरी और तीसरी तरह की मुठभेड़
- आध्यात्मिक/दार्शनिक कोण
ब्रह्मांड का विशाल आकार
हमारा ब्रह्मांड बहुत बड़ा है। यहां तक कि हमारी आकाशगंगा में भी सैकड़ों अरबों तारे हैं, जो हमारे अपने तारे सूर्य से भी बड़े हैं। और ब्रह्मांड में अरबों ऐसी आकाशगंगाएँ हैं।
यह लगभग असंभव लगता है कि हमारे ब्रह्मांड में खरबों ग्रहों में से, सिर्फ हमारे ग्रह ने जीवन विकसित किया होगा। ड्रेक समीकरण (Drake equation - फ्रैंक ड्रेक द्वारा विकसित) हमारे ब्रह्मांड में बुद्धिमान एलियन सभ्यताओं की संख्या का अनुमान लगाता है| इसके अनुसार ब्रह्मांड में हमारे साथ संचार करने में सक्षम सभ्यताएं लगभग दस हजार होनी चाहियें।
नासा ने पृथ्वी जैसे एक्सो-ग्रहों की खोज के लिए केपलर स्पेस टेलीस्कोप लॉन्च किया। हाल ही में, वैज्ञानिकों ने गोल्डीलॉक्स ज़ोन में कई एक्सो-प्लैनेट पाए हैं|
एक तारे के पास का क्षेत्र, जहाँ तरल पानी और जीवन के अस्तित्व के लिए तापमान सही होता है।
वास्तव में, जैसे-जैसे हम ब्रह्मांड की खोज कर रहे हैं, हम पा रहे हैं कि ब्रह्मांड में पानी बहुत प्रचुर मात्रा में है - यह चंद्रमा पर है, मंगल के पास शायद था, यहां तक कि टाइटन (शनि का उपग्रह) पर भी है।
हमने अबतक किसी एलियन का सामना नहीं किया है, यह इस कारण हो सकता है क्योंकि हमने अभी तक पर्याप्त खोज नहीं की है। आज भी हम अपने आस-पास के ग्रहों - मंगल और शुक्र और हमारे उपग्रह चंद्रमा के बारे में ही पता लगाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
इसके अलावा, ब्रह्मांड के विशाल आकार को देखते हुए, हम हजारों प्रकाश वर्ष दूर एक एलियन सभ्यता तक पहुंचने या उनतक सन्देश पहुंचाने में सक्षम नहीं होंगे, भले ही वह मौजूद हो। हमारी आकाशगंगा का आकार ही एक लाख प्रकाश वर्ष से ज्यादा है। इसका मतलब है कि, भले ही हमारी आकाशगंगा के दूसरे छोर पर पृथ्वी जैसा ग्रह मौजूद हो, हमें वहां पहुंचने के लिए या उन्हें हम तक पहुंचने के लिए हजारों वर्षों की आवश्यकता होगी, भले ही हम प्रकाश की गति से यात्रा करें। हमारे रेडियो या दृश्य संदेशों को भी उतना ही समय लगेगा।
यह संभव है कि कुछ उन्नत सभ्यताओं ने इन कठिनाइयों को पार पा लिया हो, जैसे कि वर्महोल बनाने की क्षमता विकसित करके, जिसके उपयोग से अंतर-गैलेक्टिक यात्रा संभव हो सकती है। लेकिन प्रौद्योगिकी में उन्नत एलियंस के लिए, हम कीड़ों से ज्यादा कुछ नहीं होंगे, किसी पिछड़ी जनजाति जैसे। इस तरह के एलियन एनकाउंटर हमारे लिए ख़तरनाक भी साबित हो सकते हैं, जैसा कि कई विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है, जिसमें स्टीफ़न हॉकिंग भी शामिल हैं। हॉकिंग के अनुसार, एलियंस को संदेश भेजना कोई बहुत अच्छा विचार नहीं है।
देखे गए विभिन्न यूएफओ (UFO)
कई यूएफओ देखे गए हैं, जिनमें से कुछ को रिकॉर्ड भी किया गया है। हालांकि उनमें से ज्यादातर रिकॉर्डिंग साफ़ नहीं होती हैं।
UFO का मतलब सिर्फ Unidentified Flying Object होता है। यह एलियन मूल का हो भी सकता है और नहीं भी।
हालांकि UFO के नाम पर झांसा देने और शरारत के कई मामले सामने आ चुके हैं। इसके अलावा, कुछ प्राकृतिक घटना या मानव गतिविधि को अक्सर यूएफओ देखे जाने के साथ भ्रमित किया जाता है, जैसे कि कुछ इलेक्ट्रो-स्टैटिक घटना, उपग्रहों का प्रक्षेपण आदि।
लेकिन इस तरह के सभी मामलों को धोखाधड़ी के रूप में बदनाम, या कुछ प्राकृतिक घटना के रूप में समझाया नहीं जा सकता है। ऐसे कई मामले हैं जिनमें कई गवाह हैं और जो वास्तविक लगते हैं।
यहां तक कि संबद्ध बल (allied forces) के पायलटों ने भी द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कुछ यूएफओ देखे। उन्होंने इन यूएफओ को फू फाइटर्स कहा (Foo Fighters - बाद में एक म्यूजिक बैंड ने भी इस नाम को अपनाया)।
हाल ही में, अमेरिकी नौसेना ने भी कुछ यूएफओ देखे जाने की बात स्वीकार की है। सशस्त्र कर्मियों द्वारा रिकॉर्ड किए गए उन यूएफओ के वीडियो को 2021 में CNN जैसे मुख्यधारा के मीडिया में भी व्यापक रूप से प्रसारित किया गया था। इसे अमेरिकी अधिकारियों द्वारा यूएफओ की पहली आधिकारिक स्वीकृति के रूप में लिया गया था।
इसके अलावा, 1949 के आसपास अमेरिकी सशस्त्र बल ने ‘प्रोजेक्ट साइन’ नाम से एक प्रोजेक्ट चलाया, जिसका उद्देश्य यूएफओ देखे जाने वाले मामलों का अध्ययन करना था। करीब 12 हजार मामलों की जांच की गई। इस परियोजना का संचालन करने वाले विशेषज्ञों द्वारा कई मामलों (लगभग 800) को ‘अज्ञात मूल के उड़नदस्ते’ श्रेणी में रखा गया था।
इसके अलावा, कई अफवाहें और लोग हैं जो किसी भी अजीब घटना को यूएफओ से जोड़ते हैं। उदाहरण के लिए, बरमूडा त्रिकोण के ऊपर कई जहाजों और विमानों के गायब होने को अक्सर पानी के नीचे के एलियन ठिकानों और यूएफओ से जोड़ा गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका में एरिया 51 को यूएफओ अनुसंधान के लिए सरकार का मुख्य अड्डा माना जाता है, लेकिन यह सिर्फ एक गुप्त सैन्य अनुसंधान की जगह हो सकती है, और इससे ज्यादा कुछ नहीं।
एलियंस के मौजूद होने का दावा करने वाले लोगों द्वारा कुछ और सबूत सामने रखे गए हैं:
कला में चित्रित एलियंस
कई पुरातत्वविदों का मानना है कि दुनिया भर की गुफाओं में एलियन दिखने वाले जीवों का चित्रण किया गया है, जैसे की भारत के चरमा क्षेत्र में। कई प्राचीन भारतीय पुस्तकें भी हैं जिनमें अन्य-सांसारिक जीवों, बहुत उन्नत तकनीक और यहां तक कि विमानों का उल्लेख है।
पुनर्जागरण काल (Renaissance period) के दौरान यूरोप में बनायीं गई कई पेंटिंग भी एलियन यूएफओ जैसे फ्लाइंग फ्लैट-डिस्क को दर्शाती हैं, जैसे कि 15 वीं शताब्दी में बनाई गई ‘द मैडोना विद सेंट जियोवनिनो (The Madonna with Saint Giovannino)’ की पेंटिंग में (जिसे अब यूएफओ पेंटिंग के रूप में भी जाना जाता है)।
एलियन क़दमों के निशान गुफाओं और चित्रों तक ही सीमित नहीं हैं। पिछली शताब्दी में हवाई फोटोग्राफी ने पृथ्वी पर बनाये गए कई भव्य डिजाइनों को उजागर किया है, जो जमीन पर नग्न आंखों से दिखाई नहीं देते हैं। हाल ही के वर्षों में उजागर हुई ऐसी ही डिज़ाइन नाज़्का लाइन्स और क्रॉप सर्कल हैं।
नाज़का रेखाएँ (Nazca lines) दक्षिणी पेरू में पाई जाने वाली लगभग दस हज़ार रेखाओं का संग्रह है। इनमें से कुछ रेखाएँ इतनी लंबी (9 किलोमीटर तक लंबी) और सीधी हैं कि, यह संदेहास्पद है कि प्राचीन काल में मनुष्यों के पास ऐसी रेखाओं को जमीन पर उकेरने की तकनीक हो सकती थी। इसके अलावा, ये पूरे डिजाइन केवल ऊपर आकाश से ही दिखाई देते हैं। सैकड़ों/हजारों साल पहले केवल एलियंस ही ऐसा कर सकते थे। इंसानों ने तो 20वीं सदी में ही उड़ना शुरू किया है।
दूसरी और तीसरी तरह की मुठभेड़
यूएफओ और एलियंस के साथ दूसरी और तीसरी तरह की मुठभेड़ों के कुछ मामले सामने आए हैं। लोगों ने यूएफओ को उतरते/दुर्घटनाग्रस्त होते और सरकारी एजेंसियों द्वारा ले जाते हुए देखा है।
कुछ लोग तो एलियंस द्वारा अपहरण किए जाने का भी दावा करते हैं।
हालांकि उनमें से कई महज अफवाह निकलीं। लेकिन, उनमें से कुछ बहुत ठोस मामलें हैं, और उन्हें खारिज करना मुश्किल है।
पहली तरह का एनकाउंटर (Encounter of first kind) - यूएफओ का दूर से ही अवलोकन करना।
दूसरी तरह का एनकाउंटर (Encounter of second kind) - इसका मतलब है यूएफओ के साथ शारीरिक संपर्क का अवलोकन, जैसे कि टूटी हुई शाखाएँ, कुचली हुई वनस्पति आदि।
तीसरी तरह का एनकाउंटर (Encounter of third kind) - इसका मतलब है खुद एलियंस से शारीरिक संपर्क।
आध्यात्मिक/दार्शनिक कोण
हम मनुष्य ब्रह्मांड को मानव-केंद्रित मानते हैं। हम सोचते हैं कि ईश्वर ने हमें खाद्य श्रृंखला के शीर्ष पर रहने के लिए सबसे अच्छी प्रजाति बनाया है। प्राचीन काल में, कई सभ्यताएं सोचती थीं कि पृथ्वी ब्रह्मांड का केंद्र है और सूर्य, व सभी ग्रह पृथ्वी के चारों ओर घूमते हैं। इतना अहंकार!
कोपरनिकस और गैलीलियो जैसे वैज्ञानिकों को इसे गलत साबित करना पड़ा। हालांकि, अनुमान यह भी है कि कुछ प्राचीन भारतीय ऋषिओं को भी इसके बारे में पता था।
अगर आप एक आस्तिक व्यक्ति हैं, जो ईश्वर में विश्वास करता है, तो यह सोचना अहंकारपूर्ण होगा कि ईश्वर ने मनुष्यों को ही सर्वश्रेष्ट्र बनाया है। अगर आप ईश्वर में विश्वास करते हैं, तो तर्क के अनुसार आपको एलियंस के अस्तित्व पर भी विश्वास करना चाहिए।
वास्तव में, कई लोगों का तो यह भी मानना है कि प्राचीन काल में एलियंस और यूएफओ के साथ उनके मुठभेड़ों के कारण मनुष्यों को भगवान की अवधारणा मिली। कुछ का तो यह भी मानना है कि मानव प्रजाति के तीव्र बौद्धिक विकास के पीछे का कारण एलियंस द्वारा किए गए कुछ प्रयोग हो सकते हैं। लेकिन ये केवल खोखले सिद्धांत हैं, जिनका समर्थन करने के लिए ज्यादा सबूत नहीं हैं।
उपसंहार
हमारे पास अभी तक एलियंस का कोई ठोस प्रमाण नहीं है, लेकिन हमारे पास अपनी जिज्ञासा और रुचि बनाये रखने के लिए पर्याप्त घटनाएं और सबूत हैं। एलियन जीवन या एलियन सभ्यता की संभावना निश्चित रूप से प्रबल है।
हालांकि, कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम क्या मानते हैं, या हमारी राय क्या है| इसका कोई मतलब नहीं है अगर यह वास्तविकता नहीं है। हमें हमेशा सत्य की तलाश करनी चाहिए:
- वस्तुनिष्ठ प्रेक्षणों (objective observations) का उपयोग करके या
- हमारे अनुभव के माध्यम से।
लेकिन, हम अपने अनुभव में जो देखते हैं वह अक्सर दूसरों के साथ साझा नहीं किया जा सकता है। और अगर हम करते भी हैं, तो क्या दूसरे हमपर विश्वास करेंगे?
अगर आपने निश्चित रूप से कोई एलियन देखा है, और आप दुनिया को बताना चाहते हैं, तो क्या वे आप पर विश्वास करेंगे? क्या उन्हें करना चाहिए?