ब्लैक होल क्या होता है? (Black hole kya hai?)
ब्लैक होल ब्रह्मांड की सबसे अजीब चीज़ों में से एक है। कुछ दशक पहले तक वे साइंस फिक्शन की कोरी कल्पना का हिस्सा थे। पर उनका अस्तित्व अब साबित हो गया है। वास्तव में, हमारी अपनी आकाशगंगा, मिल्की-वे के केंद्र में भी एक ब्लैक होल (Sagittarius A*) है।
हमारी पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है, और हमारा सूर्य ब्लैक होल के चारों ओर घूमता है। तो, एक तरह से हम सभी एक ब्लैक होल के चारों तरफ ही घूम रहे हैं।
इस लेख में हम ब्लैक होल की अवधारणा, इसकी विशेषताओं, इसके अध्ययन में आने वाली चुनौतियों के बारे में चर्चा करेंगे और अगर हम इसके करीब पहुंच गए या इसमें गिर गए तो क्या होगा, इस बारे में भी।
(इस लेख में हम जानेंगे - What are Black Holes?, in Hindi)
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- ब्लैक होल के प्रकार
- ब्लैक होल कैसे बनते हैं?
- क्या हम ब्लैक होल देख सकते हैं?
- ब्लैक होल के अंदर क्या होता है?
- अगर हम ब्लैक होल में गिर जाएं तो क्या होगा?
- ब्लैक होल की मृत्यु कैसे होती है?
ब्लैक होल के प्रकार (Black hole ke prakar)
ब्लैक होल विभिन्न आकार के हो सकते हैं।
छोटे ब्लैक होल - छोटे ब्लैक होल में किसी एक तारे के आसपास का द्रव्यमान हो सकता है, लेकिन इनका आकार कुछ किलोमीटर से ज्यादा नहीं होता।
सुपर मैसिव ब्लैक होल (बहुत बड़े ब्लैक होल) - वे अधिकांश आकाशगंगाओं के केंद्र में पाए जाते हैं। उनका द्रव्यमान एक तारे के द्रव्यमान का लाखों गुना होता है, जैसे की Sagittarius A* का द्रव्यमान 4 मिलियन सूर्य के बराबर है, अर्थार्थ 40 लाख सूर्यों के बराबर।
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अब तक ज्ञात सबसे बड़े ब्लैक होल का नाम S5 0014+81 है। यह हमारे सूर्य के द्रव्यमान का 40 अरब गुना है। इसका व्यास प्लूटो से सूर्य की दूरी का 47 गुना है।
ब्लैक होल कैसे बनते हैं?
किसी तारे के मरने के बाद ब्लैक होल बनते हैं। एक तारा नाभिकीय संलयन (nuclear fusion) की प्रक्रिया द्वारा हाइड्रोजन को जलाता रहता है। किसी तारे की जबरदस्त गर्मी और दबाव में, हाइड्रोजन परमाणु हीलियम में परिवर्तित हो जाते हैं, और कुछ द्रव्यमान ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है (विकिरण के रूप में, यानी गामा, बीटा, अल्फा कण)। इससे गर्मी और तापमान और बढ़ जाता है।
ऊर्जा का यह निरंतर उत्पादन उन जबरदस्त गुरुत्वाकर्षण बलों को संतुलित करता है जो तारे को कुचलना चाहते हैं।
यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कि कोई हाइड्रोजन शेष न रह जाए। तत्पश्चात, तारा हीलियम को जलाने लगता है और भारी तत्वों - कार्बन, नियॉन, ऑक्सीजन, सिलिकॉन, लोहा का निर्माण करता है।
हालाँकि, एक बार जब कोई तारा लोहा बना लेता है, तो वह उसे आगे जला नहीं सकता है। जब तारे के केंद्र में लोहे की मात्रा एक हद से ज्यादा बन जाती है, तो संलयन प्रक्रिया रुक जाती है और तारा अपने वजन के नीचे फट जाता है। अर्थार्थ सुपरनोवा होता है। गुरुत्वाकर्षण बल जीत जाता है!
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- लोहे को तारे के लिए जहर कहा जाता है।
- लोहे से भारी सभी तत्व सुपरनोवा के दौरान ही बनते हैं।
क्या सभी सितारे ब्लैक होल बनाते हैं?
हर तारा ब्लैक होल नहीं बनाता है। कोई तारा अपने आकार के आधार पर, एक न्यूट्रॉन तारा, सफेद बौना तारा (white dwarf) या एक ब्लैक होल बना सकता है।
- यदि तारा छोटे या मध्यम आकार (हमारे सूर्य की तरह) का है, तो कोई सुपरनोवा नहीं होगा। तारा धीरे-धीरे सभी ईंधन को जला देगा, और बहुत बड़े लाल विशालकाय तारे में बदल जाएगा। बाद में, यह एक सफेद बौने तारे में परिवर्तित हो जाएगा।
- यदि तारा बड़ा है, तो वह सुपरनोवा विस्फोट के साथ ख़त्म हो जाएगा, और एक न्यूट्रॉन तारे का निर्माण करेगा।
- यदि तारा और भी अधिक विशाल है, तो वह सुपरनोवा विस्फोट के साथ ख़त्म हो जाएगा और एक ब्लैक होल का निर्माण करेगा।
क्या हम ब्लैक होल देख सकते हैं? (Kya hum Black Hole dekh sakte hein?)
नहीं, हम ब्लैक होल नहीं देख सकते हैं। लेकिन क्यों?
ऐसा इसलिए है क्योंकि ब्लैक होल में इतना ज्यादा गुरुत्व होता है कि उसके अंदर से प्रकाश (फोटॉन) भी नहीं निकल पाता है। और अगर कोई वस्तु प्रकाश नहीं छोड़ती है, तो उसे देखा नहीं जा सकता है।
हालांकि, ब्लैक होल की बाहरी परत को इवेंट होराइजन (event horizon - घटना क्षितिज) कहा जाता है। फोटॉन और अन्य कण ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बच सकते हैं यदि उन्होंने इवेंट होराइजन को पार नहीं किया है। चीजें लगातार ब्लैक होल द्वारा चूसी जा रही होती हैं, जिससे गर्मी उत्पन्न होती है| कुछ कण इवेंट होराइजन के पास खाली जगह (शून्य) से भी उत्पन्न होते हैं। अतः, ब्लैक होल की यह बाहरी परत मंद रूप से प्रकाशित होती है।
इसलिए, हम एक ब्लैक होल नहीं देख सकते हैं, लेकिन हम निश्चित रूप से इवेंट होराइजन के पास का इलाका देख सकते हैं।
ब्लैक होल के अंदर क्या होता है? (Black Hole ke andar kya hai?)
कोई नहीं जानता कि ब्लैक होल के अंदर क्या है। वैज्ञानिक इसे सिंगुलैरिटी (singularity) कहते हैं।
सिंगुलैरिटी का अर्थ है कि सभी द्रव्यमान अनंत घनत्व के एक छोटे से बिंदु के अंदर केंद्रित है। हालांकि, वैज्ञानिक अभी भी सिंगुलैरिटी की प्रकृति को नहीं जानते हैं। यह कुछ ऐसा है जो परिभाषित नहीं किया जा सकता है, जैसे किसी संख्या को शून्य से विभाजित करना परिभाषित नहीं है।
लेकिन विभिन्न वैज्ञानिक ब्लैक होल के अंदर क्या है, इसके बारे में विभिन्न सिद्धांत और अनुमान लेकर आए हैं।
- कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, ब्लैक होल के विपरीत दिशा में एक सफेद होल होता है। व्हाइट होल एक अलग ब्रह्मांड में हो सकता है, या बिग बैंग की प्रक्रिया से एक नए ब्रह्मांड का निर्माण कर सकता है।
- कुछ के अनुसार, यह केवल सिंगुलैरिटी का एक बिंदु है, जिसमें भौतिकी के सभी नियम विफल हो जाते हैं।
- कुछ के अनुसार, ब्लैक होल के अंदर जाने वाली सारी जानकारी नष्ट नहीं होती है। यह उसकी सतह पर एक होलोग्राम की तरह संरक्षित रहती है।
अगर हम ब्लैक होल में गिर जाएं तो क्या होगा? (Black Hole mein girne par kya hoga?)
हम में से बहुत से लोग यह सोचते हैं कि ब्लैक होल एक वैक्यूम क्लीनर की तरह अपने आस-पास के पदार्थ को चूसते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। वे अन्य विशाल आकाशीय पिंडों की तरह हैं जो अन्य द्रव्यमानों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
यदि हम अपने सूर्य को समान गुरुत्वाकर्षण बल वाले ब्लैक होल से बदल दें, तो ग्रहों की कक्षाओं में कुछ भी नहीं बदलेगा। वे ब्लैक होल के चारों ओर घूमते रहेंगे, जैसे वे सूर्य के चारों ओर घूमते हैं।
हालाँकि, क्या होगा यदि हम जानबूझकर ब्लैक होल की तरफ कुछ फेंकते हैं, या हम स्वयं एक ब्लैक होल की ओर बढ़ते हैं?
आइए एक अंतरिक्ष यात्री का ब्लैक होल की ओर बढ़ने का उदाहरण लें। और एक वैज्ञानिक उसे दूर एक अंतरिक्ष यान से ब्लैक होल की ओर बढ़ते हुए देख रहा है।
जैसे-जैसे अंतरिक्ष यात्री ब्लैक होल के करीब पहुंचेगा, समय धीमा होता जाएगा। जब वह इवेंट होराइजन पर पहुंचेगा तो यह पूरी तरह से रुक जाएगा। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि समय बड़े पिंडों के पास धीमा हो जाता है।
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समय धीमा होता जाता है:
जैसे-जैसे गुरुत्वाकर्षण बढ़ता है, या
गति बढ़ने पर। (जब कोई वस्तु प्रकाश की गति से चलती है, तो द्रव्यमान अनंत हो जाता है, और समय रुक जाता है)
दूर से देखने वाले वैज्ञानिक को, ब्लैक होल की ओर गिरने वाला अंतरिक्ष यात्री धीमा प्रतीत होगा। इसके अलावा, ऐसा पर्यवेक्षक अंतरिक्ष यात्री को ब्लैक होल के अंदर प्रवेश करते हुए कभी नहीं देख पायेगा। उसे अनंत समय तक वह अंतरिक्ष यात्री इवेंट होराइजन पर ही रुका हुआ दिखाई देगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि वैज्ञानिक के नजरिए से इवेंट होराइजन पर समय रुक जाएगा।
हालांकि, अंतरिक्ष यात्री को यह धीमा समय महसूस नहीं होगा। वह इवेंट होराइजन से होता हुआ ब्लैक होल में गिर जायेगा। पर उसे बाकी अंतरिक्ष बहुत तेजी से समय में आगे भागता प्रतीत होगा| अतः, एक तरह से वो अंतरिक्ष यात्री ब्लैक होल में गिरते हुए भविष्य की यात्रा करेगा|
लेकिन अंतरिक्ष यात्री कभी भी जिंदा ब्लैक होल तक नहीं पहुंच पाएगा। एक ब्लैक होल के पास गुरुत्वाकर्षण इतना अधिक होता है कि अंतरिक्ष यात्री के पैर और सिर के पास गुरुत्वाकर्षण के बीच का अंतर इतना अधिक होगा, कि वह एक लंबी स्पेगेटी की तरह खिंच जाएगा (जिसे स्पेगेटीफिकेशन या नूडल प्रभाव कहा जाता है)। तद्पश्चात उसका शरीर अणुओं में बिखर जायेगा|
ब्लैक होल की मृत्यु कैसे होती है? (Black Hole kaise khatm hota hai?)
हालांकि निश्चित रूप से कोई नहीं जानता, लेकिन इसके बारे में एक प्रसिद्ध सिद्धांत है। हम इसे आपके लिए लिखेंगे।
अंतरिक्ष वास्तव में खाली नहीं है। खाली जगह में नए-नए कण अस्तित्व में आते रहते हैं। वे बहुत कम समय के लिए अस्तित्व में रहते हैं, और फिर वे एक दूसरे को नष्ट कर देते हैं।
हालांकि, ब्लैक होल के इवेंट होराइजन के पास, इनमें से कोई एक कण ब्लैक होल द्वारा पकड़ा जा सकता है, और दूसरा एक वास्तविक कण (विकिरण) के रूप में ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण से बच निकल सकता है।
यह हॉकिंग रेडिएशन है, जिसका नाम प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफ़न हॉकिंग के नाम पर रखा गया है, जिनकी मृत्यु 14 मार्च 2018 को हुई थी।
तो, इस हॉकिंग विकिरण के कारण ब्लैक होल द्रव्यमान खोते रहते हैं, अर्थात वे वाष्पित होते रहते हैं। समय के साथ वे मर जाते हैं| लेकिन यह प्रक्रिया बहुत धीमी होती है।